हिमाचल में तबाही की रात: जब पहाड़ों ने सहारा देने के बजाय संकट थमा दिया
“जिन पहाड़ों को हमने हमेशा अपनी ढाल माना, आज उन्हीं पहाड़ों ने हमारी जड़ें उखाड़ दीं।” यह दर्द भरे शब्द हैं मंडी जिले के एक बुजुर्ग के, जिनका घर बीती रात बाढ़ की चपेट में आकर मिट्टी में मिल गया। एक समय तक अपने शांत सौंदर्य, ठंडी वादियों और पर्यटक आकर्षणों के लिए पहचाने जाने वाले हिमाचल प्रदेश को आज कुदरत के कोप का सामना करना पड़ रहा है।
बारिश और भूस्खलन से जूझते कुल्लू, मंडी और किन्नौर
लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने कई जिलों को तबाही के कगार पर ला खड़ा किया है। कुल्लू, मंडी, चंबा और किन्नौर जैसे इलाकों में नदियाँ विकराल रूप में बह रही हैं। सड़कें बह चुकी हैं, पुल टूट चुके हैं और कई गांव पूरी तरह से पानी में डूब गए हैं। जहाँ कभी पर्यटक शांति की तलाश में आया करते थे, आज वहीं के निवासी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
बाढ़ ने छीनी जिंदगियां, और पीछे छोड़ी सिर्फ़ खामोशी
हज़ारों लोग जब गहरी नींद में थे, तभी रात के अंधेरे में बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि सब कुछ तबाह हो गया। पानी के सैलाब ने अपने साथ लोगों की ज़िंदगियाँ, यादें और आस तक बहा दी। अब तक 200 से अधिक घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं, 20 से ज्यादा लोग लापता हैं और 150 से अधिक घायल अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। कई परिवारों के पास अब सिर्फ वो बचा है जो उनके पास पहनने को है।
राहत कार्य जारी, लेकिन बाधाएं बेहद कठिन
सेना, NDRF और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटे हैं। हेलिकॉप्टरों के जरिए सामग्री पहुँचाने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन कई इलाके अब भी पूरी तरह कटे हुए हैं। न सड़कें खुली हैं, न मोबाइल नेटवर्क और बिजली। लगातार बारिश और खतरनाक रास्ते राहत दलों के सामने एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
पर्यटकों को साफ चेतावनी: हिमाचल अभी न आएं
राज्य सरकार ने पर्यटकों से अपील की है कि वे फिलहाल अपनी यात्रा स्थगित कर दें। मनाली, लाहौल-स्पीति, रोहतांग और आसपास के क्षेत्र पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। भूस्खलन और तेज बारिश का खतरा अभी भी बना हुआ है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
आंखों में आंसू, दिल में डर — लोग अब भी अपनों की तलाश में
एक युवक कहता है कि वह दो दिन से अपनी बहन का पता लगाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं। एक बुज़ुर्ग महिला रोते हुए कहती हैं, “घर चला गया, लेकिन जान बच गई, यही सबसे बड़ी बात है। अब दोबारा जिंदगी शुरू करनी है, शून्य से।” लोगों की आंखों में अपने बिखरे जीवन की तस्वीरें हैं और दिलों में लगातार धड़कता डर।
हिमाचल की पुकार: अब हमारी जिम्मेदारी है
हिमाचल सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। इस संकट की घड़ी में देश का हर नागरिक उसकी मदद के लिए आगे आए, यही समय की मांग है। जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे मुख्यमंत्री राहत कोष में सहायता करें। जो नज़दीक हैं, वे जरूरतमंदों तक खाना, कंबल और दवाइयाँ पहुंचाएं। और जो दूर हैं, वे सोशल मीडिया पर सिर्फ सत्यापित जानकारी साझा करें, अफवाहों से बचें।
हिमाचल एक बार फिर खड़ा होगा, अपनी उसी मजबूती और मुस्कान के साथ। लेकिन इसके लिए हमें एकजुट होकर उसका सहारा बनना होगा, क्योंकि इस बार पहाड़ नहीं, इंसान ही इंसान का सहारा बनेगा।