पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और आतंकवादी समूह जम्मू-कश्मीर में भर्ती प्रयासों को तेज करने के लिए डिजिटल मंचों का सहारा ले रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, कड़े सुरक्षा प्रबंधों के चलते इन समूहों के लिए प्रत्यक्ष संवाद करना मुश्किल होता जा रहा है।
एक अधिकारी ने बताया कि ये समूह युवा पीढ़ी को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों जैसे ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सएप, और टेलीग्राम के जरिए बहकाने का प्रयास कर रहे हैं। अपनी पहचान छिपाने के लिए, ये लोग फर्जी प्रोफाइल और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जब इन युवाओं की पहचान हो जाती है, तो उन्हें निजी समूहों में शामिल किया जाता है, जहां सुरक्षा बलों द्वारा कथित अत्याचारों से संबंधित वीडियो दिखाए जाते हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आइएसआइ) से जुड़े लोग नफरत भड़काने और भर्ती के लिए अनुकूल माहौल बनाने की इस रणनीति का पालन कर रहे हैं।
अधिकारियों ने यह भी जानकारी दी कि अब भर्ती होने वाले युवाओं को सैय्यद कुतुब नामक मिस्र के चरमपंथी के साहित्य का अध्ययन कराया जा रहा है, जिसकी विचारधारा ने अल-कायदा समेत विभिन्न कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों को प्रभावित किया है। कुतुब ने धर्मनिरपेक्ष सरकारों और पश्चिमी देशों के प्रभाव के खिलाफ जिहाद की वकालत की थी।
पहले आतंकवाद समर्थक भर्ती के लिए प्रत्यक्ष संपर्क पर निर्भर थे, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इन नेटवर्कों को ध्वस्त करने के प्रयासों के चलते उनके तरीके भी बदल गए हैं। नए भर्ती हुए लोगों को क्षेत्र में काम सौंपे जाने से पहले विभिन्न डिजिटल माध्यमों जैसे यूट्यूब के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है। अधिकारियों ने विशेष रूप से दक्षिण कश्मीर में सोशल मीडिया के जरिए भर्ती और विचारधारा को बढ़ावा देने की गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है।