उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में राज्य का सैनिक कल्याण विभाग देहरादून में सैन्य धाम का निर्माण करेंगे

कारगिल विजय दिवस को 25 साल पूरे हो गये हैं। यानि भारतीय सेना के शौर्यता का रजत जयंती वर्ष। भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के कुशल नेतृत्व में भारतीय सेना ने अपनी वीरता कौशलता और शौर्यता का परिचय देते हुए पाकिस्तान की सेना के छक्के छुड़ाएं और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फहरा कर भारत माता के मस्तक और ऊंचा कर दिया। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन ने उत्तराखंड के युवा एवं लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सैनिकों के कल्याण के लिए कई योजनायें राज्य में लागू की है और वीरता पुरस्कारों की धनराशि में भी सम्मानजनक बढ़ोतरी की है। यह राज्य सरकार की सैनिकों के प्रति विनम्र एवं सम्मान भाव है। उत्तराखंड वीर भूमि है। तभी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने उत्तराखंड को सैन्य धाम कहा है। और प्रधानमंत्री मोदी जी के इस सपने को साकार करने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में राज्य का सैनिक कल्याण विभाग देहरादून में सैन्य धाम का निर्माण कर रहा है। जिसका शिलान्यास देश के माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने किया था। जो जल्दी ही राष्ट्र को समर्पित होगा। यह हमारी उत्तराखंड के वीर सपूतों के प्रति सच्ची भावना है। कारगिल ऑपरेशन विजय दिवस के नाम पर, भारत में 26 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन 1999 में भारत ने पाकिस्तान से छीनी गई ऊंची चौकियों पर सफलतापूर्वक कब्जा किया था। कारगिल युद्ध 60 दिनों से ज्यादा समय तक लड़ा गया था। यह 26 जुलाई को समाप्त हुआ। कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के ज्यादातर योड्राओं ने दुश्मन को देश की सीमा से बाहर खदेड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। कारगिल युद्ध में राज्य के 75 योगा शहीद हुए थे। राज्य के 30 सैनिकों को उनके अदम्य साहस के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया गया। राज्य की कुमाऊं और गढ़‌वाल रेजिमेंट ने दुश्मन को खदेड़ने में कारगिल युद्ध में अहम योगदान दिया था। गढ़‌वाल रेजिमेंट के 54 सैनिक शहीद हुए थे। कारगिल युद्ध में भाग लेने वाली लगभग हर रेजिमेंट में उत्तराखंड के वीर सैनिक शामिल थे। कारगिल विजय दिवस कारगिल युद्ध के वीरों के सम्मान में मनाया जाता है। यह दिवस कारगिल-द्रास सेक्टर और राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में मनाया जाता है, जहाँ हर साल भारत के माननीय प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति पर सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं। सशस्त्र बलों के योगदान को याद करने के लिए पूरे देश में समारोह भी आयोजित किए जाते हैं। उत्तराखंड कारगिल युद्ध को कभी नहीं भूल सकता। इस छोटे से राज्य के 75 वीर योगाओं ने युद्ध में पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए थे। खास बात यह है कि राज्य का कोई भी जिला ऐसा नहीं है जिसने अपने वीर सपूतों को न खोया हो। इसलिए यह कारगिल विजय दिवस उत्तराखंड के लिए मायने रखता है। इस अवसर पर मैं अपने प्रदेश देवभूमि शौर्यता की भूमि उत्तराखंड के वीर सपूतों को नमन करता हूं।

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