सरकार के आदेश पर हर नए स्मार्टफोन में Sanchar Saathi ऐप प्री-इंस्टॉल होगा, विपक्ष ने इसे जासूसी और निजता उल्लंघन करार दिया।
परिचय
सरकार ने मोबाइल निर्माता कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे भारत में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोन में Sanchar Saathi ऐप पहले से इंस्टॉल करें। ऐप को मुख्य रूप से फोन चोरी, फर्जी IMEI और धोखाधड़ी कॉल/मैसेज रोकने के लिए बनाया गया है। लेकिन इस फैसले ने सियासत और डिजिटल निजता के मुद्दे को फिर से गरमा दिया है। विपक्ष और डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता इसे नागरिकों की प्राइवेसी पर हमला मान रहे हैं।
संचार साथी ऐप क्या है?
Sanchar Saathi ऐप को Department of Telecommunications (DoT) ने लॉन्च किया है। इसके मुख्य फीचर्स हैं:
- मोबाइल का IMEI (यूनिक पहचान कोड) चेक करना और फर्जी/क्लोन फोन पकड़ना।
- चोरी या खो जाने वाले फोन को नेटवर्क से निष्क्रिय करना।
- किसी व्यक्ति के नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन सक्रिय हैं, यह जानना।
- स्पैम, धोखाधड़ी और फर्जी कॉल/संदेश की रिपोर्ट करना।
सरकार का कहना है कि इससे साइबर धोखाधड़ी, फर्जी फोन और अनधिकृत कनेक्शन कम होंगे।
सरकार का तर्क
संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ऐप का उद्देश्य केवल सुरक्षा और धोखाधड़ी रोकना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐप अनिवार्य है लेकिन उपयोगकर्ता इसे हटा सकते हैं। उनका कहना है कि ऐप को प्री-इंस्टॉल करने का मकसद सुरक्षा में तेजी लाना और नेटवर्क सुरक्षा को मजबूत करना है।
सरकार का तर्क है कि इससे आम नागरिकों को तुरंत सुरक्षा सुविधाएं मिलेंगी और फोन चोरी या धोखाधड़ी की घटनाओं को आसानी से रोका जा सकेगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस कदम को सीधे जासूसी ऐप करार दिया और कहा—
“नागरिकों को बिना सरकार की नजर के अपने परिवार और दोस्तों से बात करने का अधिकार है। यह कदम धोखाधड़ी रोकने के बहाने निगरानी बढ़ाने की कोशिश है।”
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी कहा कि यह ऐप नागरिकों की स्वतंत्रता और निजी जीवन पर नियंत्रण बढ़ाने वाला कदम है।
विपक्ष का कहना है कि जब ऐप पहले से इंस्टॉल होगा और फोन की संवेदनशील जानकारी तक पहुँच रखेगा, तो misuse या निगरानी का खतरा बढ़ जाएगा।
विशेषज्ञों की राय
डिजिटल प्राइवेसी विशेषज्ञों का कहना है कि:
- अगर ऐप में फोन की लोकेशन, कॉल-लॉग, मैसेज और अन्य डेटा तक पहुंच होगी, तो निगरानी और डेटा प्रोफाइलिंग का जोखिम है।
- प्री-इंस्टॉल ऐप होने से उपयोगकर्ता के पास “इस्तेमाल या न इस्तेमाल” का विकल्प कम हो जाएगा।
- ऐप के डेटा रीटेंशन और सर्वर लोकेशन के बारे में पारदर्शिता जरूरी है।
नागरिकों पर असर
- नए मोबाइल यूजर्स के फोन में ऐप पहले से इंस्टॉल होगा।
- ऐप चोरी हुए फोन को ब्लॉक करना आसान बनाएगा।
- IMEI वैध है या क्लोन, इसका पता लगेगा।
- स्पैम और धोखाधड़ी कॉल/मैसेज रिपोर्ट करना आसान होगा।
लेकिन उपयोगकर्ता को यह तय करना होगा कि वे कितनी निजी जानकारी ऐप को एक्सेस करने दें।
Sanchar Saathi ऐप सुरक्षा और धोखाधड़ी रोकने का नया उपकरण है, लेकिन डिजिटल प्राइवेसी और नागरिक स्वतंत्रता के मामले में यह विवाद का विषय बन गया है। सरकार इसे सुरक्षा के लिए अनिवार्य मानती है, जबकि विपक्ष इसे जासूसी और निगरानी का प्रयास बता रहा है।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार, विपक्ष और नागरिकों के बीच इस मुद्दे पर किस तरह संतुलन बनता है।