कैंसर के इलाज की दुनिया में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। नई मेडिकल रिसर्च और तकनीकी विकास से संकेत मिले हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से अब कैंसर की पहचान शुरुआती चरण में ही संभव हो सकेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक न केवल मरीजों की जान बचाने में मदद करेगी, बल्कि इलाज की पूरी रणनीति को भी बदल देगी।
अब तक कैंसर की पहचान कई मामलों में तब होती थी, जब बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी होती थी। लेकिन AI आधारित सिस्टम एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई और पैथोलॉजी रिपोर्ट्स में मौजूद बेहद बारीक बदलावों को भी पहचान सकता है, जिन्हें अक्सर इंसानी आंख नजरअंदाज कर देती है।
कैसे काम करता है AI सिस्टम
डॉक्टरों के मुताबिक, AI को लाखों मेडिकल इमेज और मरीजों के डेटा से ट्रेन किया जाता है। इसके बाद यह सिस्टम
- ट्यूमर के शुरुआती संकेत
- कोशिकाओं में असामान्य बदलाव
- और कैंसर के संभावित पैटर्न
को बहुत तेजी और सटीकता से पहचान लेता है।
कई मामलों में AI कुछ ही सेकंड में रिपोर्ट का विश्लेषण कर लेता है, जबकि पारंपरिक जांच में इसमें कई दिन लग सकते हैं।
इलाज होगा ज्यादा असरदार
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कैंसर की पहचान शुरुआती स्टेज में हो जाए, तो
- सर्जरी की जरूरत कम हो सकती है
- कीमोथेरेपी और रेडिएशन का असर बेहतर होता है
- इलाज का खर्च घटता है
- और मरीज के पूरी तरह ठीक होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है
इसी वजह से AI तकनीक को कैंसर के खिलाफ लड़ाई में गेम-चेंजर माना जा रहा है।
भारत में भी तेजी से बढ़ रहा इस्तेमाल
भारत में भी कई बड़े सरकारी और निजी अस्पताल AI आधारित डायग्नोस्टिक टूल्स को अपनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। खासतौर पर
- ब्रेस्ट कैंसर
- फेफड़ों का कैंसर
- सर्वाइकल कैंसर
- और प्रोस्टेट कैंसर
की शुरुआती पहचान में AI के सकारात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों में, जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है, वहां AI तकनीक बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।
डॉक्टरों की भूमिका रहेगी अहम
हालांकि विशेषज्ञ यह भी साफ करते हैं कि AI डॉक्टरों की जगह नहीं लेगा, बल्कि उनके लिए सहायक उपकरण की तरह काम करेगा। अंतिम फैसला और इलाज की जिम्मेदारी हमेशा डॉक्टरों की ही रहेगी।
एक वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट ने कहा,
“AI हमें जल्दी और सही निर्णय लेने में मदद करेगा, लेकिन मरीज की देखभाल और इलाज की दिशा तय करना डॉक्टरों का ही काम रहेगा।”
भविष्य की तैयारी
स्वास्थ्य मंत्रालय और रिसर्च संस्थान मिलकर AI को राष्ट्रीय कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम का हिस्सा बनाने पर भी विचार कर रहे हैं। अगर यह योजना लागू होती है, तो लाखों लोगों को समय रहते जांच और इलाज मिल सकेगा।
निष्कर्ष
AI के ज़रिए कैंसर की शुरुआती पहचान न सिर्फ मेडिकल साइंस में क्रांति ला सकती है, बल्कि कैंसर को जानलेवा बीमारी से एक नियंत्रित रोग बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम साबित हो सकती है
