
रांची के मोरहाबादी मैदान में शुक्रवार को झारखंड स्थापना दिवस का जश्न अपने चरम पर था। पूरा मैदान झारखंडी संस्कृति, रंगों और उमंग से सराबोर था। इसी बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंच पर आए और अपने संबोधन के दौरान भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि यह धरती संघर्ष, शौर्य और आदिवासी अस्मिता की गवाह रही है, और आज जब राज्य अपनी 25वीं सालगिरह मना रहा है, यह क्षण सिर्फ उत्सव नहीं बल्कि नई दिशा तय करने का अवसर भी है।
CM हेमंत ने मोरहाबादी मैदान को “ऐतिहासिक साक्षी” बताते हुए झारखंड के भविष्य की बड़ी तस्वीर साझा की। उन्होंने 2050 तक के विकास मॉडल की घोषणा की—एक ऐसा रोडमैप, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, युवाओं के रोजगार, आदिवासी विकास, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और नई टेक्नोलॉजी को राज्य का आधार बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा, “अगले 25 साल झारखंड को दुनिया के विकसित क्षेत्रों की बराबरी पर खड़ा करेंगे। आज हम जो बीज बो रहे हैं, 2050 तक वही इस राज्य की नई पहचान बनाएंगे।”
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने 8,799 करोड़ रुपये की 1,087 योजनाओं की सौगात भी दी। मंच से उन्होंने साफ किया कि ये योजनाएं सिर्फ कागज पर नहीं, बल्कि जमीन पर बदलाव लाने वाली होंगी।
कभी-कभी रुंधे गले के साथ, उन्होंने अपने पिता और झारखंड आंदोलन के नायक शिबू सोरेन को याद किया। उन्होंने कहा कि ‘गुरुजी’ का सपना आज भी उनके लिए प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत है। उनके ये शब्द सुनकर पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
मोरहाबादी मैदान में हजारों की भीड़, पारंपरिक नृत्य, झांकी, ढोल-नगाड़ों की धुन और आकाश में उड़ते रंगीन ड्रोन शो ने कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया। झारखंड की पहचान, भावनाएं और उम्मीदें सब एक जगह इकट्ठी थीं—एक नए भविष्य के संकल्प के साथ।