दिल्ली के रंगपुरी इलाके में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक पिता ने अपनी चार दिव्यांग बेटियों के साथ मिलकर आत्महत्या कर ली। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस ने शुक्रवार को दरवाजा तोड़कर शवों को बरामद किया। बेटियों की हालत गंभीर थी और उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था, जिससे पिता ने यह खौफनाक कदम उठाया।

पारिवारिक त्रासदी का परिणाम हीरालाल, जो बिहार के छपरा जिले का निवासी था, दक्षिणी दिल्ली के रंगपुरी इलाके में किराए के मकान में अपनी चार बेटियों के साथ रहता था। उसकी पत्नी की मृत्यु कैंसर के कारण पहले ही हो चुकी थी। चारों बेटियां जन्म से ही दिव्यांग थीं और चलने-फिरने में असमर्थ थीं। पत्नी की मौत के बाद हीरालाल अपनी बेटियों की देखभाल के लिए अकेला रह गया था, और उसकी मानसिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी।

पुलिस को फ्लैट से आने लगी बदबू पड़ोसियों ने पुलिस को तब सूचना दी, जब उन्हें फ्लैट से अजीब बदबू आने लगी। पुलिस मौके पर पहुंची और दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुई। कमरे में हीरालाल और उसकी चारों बेटियों के शव बिस्तर पर पड़े मिले। शवों की हालत इतनी खराब थी कि पहचानना मुश्किल हो गया था। पुलिस को शक है कि परिवार ने सल्फास खाकर आत्महत्या की होगी, हालांकि अभी तक कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है।

मानसिक तनाव में था परिवार हीरालाल वसंत कुंज के एक अस्पताल में कारपेंटर के रूप में काम करता था। पत्नी की मृत्यु और बेटियों की दिव्यांगता के चलते उस पर मानसिक और शारीरिक दबाव बढ़ता गया। रोज़ाना काम से लौटने के बाद वह अपनी बेटियों की देखभाल करता था, जो उसे पूरी तरह से थका देती थी। पुलिस को शक है कि काम और जीवन की इस कठिनाइयों ने उसे डिप्रेशन में धकेल दिया, जिसके चलते उसने यह कठोर निर्णय लिया।

फ्लैट में आठ साल से रह रहा था परिवार फ्लैट के केयरटेकर के मुताबिक, हीरालाल का परिवार यहां करीब आठ साल से रह रहा था, लेकिन वह बहुत ही कम लोगों से मिलता-जुलता था। पुलिस ने परिवार के अन्य सदस्यों और पड़ोसियों से पूछताछ की है। यह पता चला है कि हीरालाल को आखिरी बार 24 सितंबर को देखा गया था, जिसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं चला।

फॉरेंसिक जांच जारी पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने मौके से सल्फास के रैपर और खाने के नमूने बरामद किए हैं। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है, और आगे की जांच जारी है। पुलिस इस घटना के पीछे छिपे कारणों का पता लगाने के लिए हर पहलू की जांच कर रही है।

मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी बनी जानलेवा इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कितनी गंभीरता से ध्यान दिया जा रहा है। एक अकेला पिता, जो अपनी दिव्यांग बेटियों की देखभाल में टूट चुका था, ने आखिरकार अपनी जान देने का फैसला किया। इस घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है।