अक्सर माता-पिता की यह चिंता रहती है कि उनका बच्चा कब और कैसे लिखना सीखे। कई बार जल्दबाज़ी में उन्हें अक्षर या शब्द लिखने को कह दिया जाता है, जिससे बच्चे में डर या झुंझलाहट पैदा हो जाती है। बच्चों के सीखने के तरीके पर एक पेडियाट्रिशियन ने हाल ही में अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि बच्चे को लिखना सिखाने का सही तरीका क्या होना चाहिए।
डॉ. अर्पित गुप्ता के अनुसार, बच्चे को लिखने की शुरुआत अक्षरों से नहीं, बल्कि लाइन और पैटर्न बनाने से होनी चाहिए। जैसे— सीधी, तिरछी, घुमावदार या गोल लकीरें। इस प्रक्रिया से बच्चे की फाइन मोटर स्किल्स, यानी उंगलियों की पकड़ और हाथों की मूवमेंट बेहतर होती है। यही आधार आगे चलकर अच्छी हैंडराइटिंग की नींव बनता है।
डॉक्टर का कहना है कि जब बच्चा इन बुनियादी स्ट्रोक्स में सहज हो जाए, तब धीरे-धीरे उसे अक्षर बनाना सिखाना चाहिए। पहले बड़े अक्षरों से शुरुआत करना बेहतर होता है क्योंकि वे बनावट में सरल और स्पष्ट होते हैं। साथ ही, बच्चे को रंगीन पेंसिल, मोटे क्रेयॉन और विभिन्न टेक्सचर वाले पेपर पर अभ्यास कराना चाहिए — इससे लिखने में रुचि बढ़ती है।
उन्होंने यह भी बताया कि बच्चे को हमेशा प्रोत्साहित करें, तुलना न करें और गलतियों पर डांटने के बजाय सुधार के मौके दें। लिखना एक कला है, न कि एक दौड़। इस प्रक्रिया में माता-पिता का धैर्य और सकारात्मक माहौल सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।
शोध यह भी दिखाते हैं कि जो बच्चे पहले ड्रॉइंग, रंग भरना या पैटर्न बनाना सीखते हैं, उनकी हैंडराइटिंग आगे चलकर काफी बेहतर होती है। यह तकनीक 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों के लिए सबसे प्रभावी मानी जाती है।