भारत की महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया। नवी मुंबई में खेले गए फाइनल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को हराकर देश का नाम रोशन किया। यह मैच केवल एक खेल की जीत नहीं था—185 मिलियन ऑनलाइन दर्शकों और 92 मिलियन टीवी दर्शकों के साथ यह महिला खेलों के लिए एक नई दिशा भी दिखा गया।
पूर्व हॉकी खिलाड़ी और कोच प्रीतम रानी सिवाच कहती हैं, “मेरी हॉकी अकादमी की सभी लड़कियों ने मैच देखा। हमने इस जीत पर चर्चा की और यह स्पष्ट हो गया कि लड़कियों के लिए खेल में अब अवसर बढ़ रहे हैं।”
महिला क्रिकेट: पैसा और पहचान दोनों
महिला क्रिकेट ने आर्थिक रूप से भी नए आयाम खोल दिए हैं।
- महिला प्रीमियर लीग (WPL) का पहला सीजन 377 करोड़ रुपये में सफल रहा।
- मीडिया राइट्स का मूल्य 951 करोड़ रुपये आंका गया।
- शीर्ष खिलाड़ी जैसे स्मृति मंधाना अब कई बड़े ब्रांड्स से समर्थन पा रही हैं।
क्रिकेट की यह सफलता न केवल खेल की लोकप्रियता बढ़ा रही है, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और लाभकारी करियर भी साबित हो रही है।
अन्य खेलों की चुनौती
हालांकि महिला क्रिकेट चमक रही है, बाकी खेलों की महिलाओं को उतनी visibility और आर्थिक सुरक्षा नहीं मिल रही। भारत की महिला एथलीटों ने बॉक्सिंग, बैडमिंटन, भारोत्तोलन, शूटिंग और हॉकी में विश्वस्तरीय सफलता हासिल की है।
- बॉक्सिंग: निकहत ज़रीन, लवलीना बोरगोइन, मैरी कॉम
- भारोत्तोलन: कर्णम मल्लेश्वरी, मीराबाई चानू
- बैडमिंटन: पी.वी. सिंधु
- शूटिंग: तेजस्विनी सावंत
लेकिन इन खेलों में नियमित मीडिया कवरेज नहीं है और वित्तीय अवसर भी सीमित हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक मानती हैं कि खेल का चुनाव क्षेत्रीय उपलब्धता और स्थानीय संस्कृति पर निर्भर करता है। वहीं हॉकी कोच प्रीतम सिवाच का कहना है, “महिला क्रिकेट की सफलता समाज में यह संदेश दे रही है कि लड़की का खेलना सामान्य है। यह कदम अन्य खेलों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।”
महिला क्रिकेट का विश्व कप जीतना सिर्फ एक खेल की जीत नहीं, बल्कि भारत में महिला खेलों के लिए एक नया युग है। अगर मीडिया, निवेशक और खेल संस्थान इस मौके का सही इस्तेमाल करें, तो आने वाले समय में अन्य खेलों की महिलाओं के लिए अवसर और पहचान बढ़ सकती है।