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छह हजार किमी का सफर कर ओलंपिक में भाग लेने पहुंचे सिबगातुल्लाह

Published on July 30, 2024 by Vivek Kumar

[caption id="attachment_7988" align="alignnone" width="1196"]sibghatullah-travelled-6000-km-to-participate-in-olympics sibghatullah-travelled-6000-km-to-participate-in-olympics[/caption] पेरिस में जारी ओलंपिक खेलों में दुनिया भर के खिलाड़ी मैदान पर अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं। इनकी उपलब्धियों के साथ-साथ त्याग, समर्पण और जज्बे की एक से बढ़कर एक मिसाल भी किस्से-कहानियों के रूप में सामने आ रही हैं। लेकिन जब खिलाड़ी युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान जैसे देश से हो तो उसे खेलों के इस महासमर में भाग लेने का अपना सपना पूरा करने के लिए छह हजार किलोमीटर और पांच देशों की यात्रा भी करनी पड़ सकती है। और कुछ ऐसा ही हुआ है अफगान जूडो खिलाड़ी अरब सिबगातुल्लाह के साथ, जो साल 2021 में तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान से भाग निकले। इसके बाद उन्होंने पांच देशों में शरण ली और आखिर में 6000 किलोमीटर का सफर तय करके जर्मनी पहुंचे। वह अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की शरणार्थी टीम का हिस्सा हैं और पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की जूडो स्पर्धा के 81 किलोवर्ग में उतरेंगे। अफगानिस्तान में टीवी पर जूडो की विश्व चैंपियनशिप देखकर उन्हें इस खेल से मुहब्बत हो गई लेकिन उनके शौक को परवान चढ़ाने का कोई जरिया नहीं था। तालिबान के कब्जे के बाद वह यूरोप भाग गए जिस समय उनकी उम्र सिर्फ 19 साल थी। उन्होंने कहा, 'जब मैंने अफगानिस्तान छोड़ा तो पता नहीं था कि बचूंगा या नहीं, इतनी दिक्कतें झेली है।' नौ महीने में उन्होंने ईरान, तुर्किये, यूनान, बोस्त्रिया और स्लोवेनिया की यात्रा की और आखिर में जर्मनी में बस गए। उन्होंने कहा, 'रास्ते में मेरी तबीयत बहुत बिगड़ गई थी और मैं तनाव में भी था। मोंशेंग्लाबाख में एक जूडो क्लब से जुड़े इस खिलाड़ी ने मैड्रिड में 2023 यूरोपीय ओपन में सातवां स्थान हासिल किया। उन्होंने कहा, 'मेरे माता-पिता अभी भी अफगानिस्तान में हैं और मुझसे रोज बात होती है। वे मुझे अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित करते हैं।'

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