टीवी शो अनुपमा के अभिनेता सुधांशु पांडे ने आजकल की आधुनिक पैरेंटिंग शैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। प्रेमानंद महाराज के हालिया बयान के बाद पांडे ने कहा कि व्यस्त जीवनशैली के कारण कई भारतीय माता-पिता अपने बच्चों को पर्याप्त भावनात्मक समय नहीं दे पाते, जिसकी वजह से बच्चे घर की नौकरानियों या केयरटेकर्स से अधिक जुड़ाव महसूस करने लगते हैं। उन्होंने कहा, “आजकल हर अपार्टमेंट में ज़्यादातर बच्चे नौकरानियों के साथ दिखते हैं। डर हो, खुशी हो या कोई ज़रूरत — वे माँ-बाप की बजाय उन्हीं के पास जाते हैं। यह बहुत दुखद है।” पांडे के मुताबिक पैरेंटिंग का मतलब सिर्फ सुविधाएँ देना नहीं, बल्कि बच्चों के साथ भावनात्मक उपस्थिति बनाए रखना है। उनका कहना है कि लगातार अनुपस्थिति बच्चों के व्यक्तित्व पर लंबा असर डाल सकती है और माता-पिता को अपने व्यस्त कार्यक्रम में भी उनके लिए समय निकालना चाहिए। उनके बयान ने सोशल मीडिया पर विवाद भी खड़ा किया है और आधुनिक परिवारों की प्राथमिकताओं पर नई बहस शुरू कर दी है।