माधुरी दीक्षित नेने ने हाल ही में अपने पति डॉ. श्रीराम नेने के लिए बनाए गए पहले खाने को याद करते हुए एक मज़ेदार किस्सा साझा किया। 58 वर्षीय अभिनेत्री ने बताया कि अमेरिका में शादी के बाद जब उन्होंने पहली बार अपने पति के लिए खाना बनाया, तो वह अनुभव उनके लिए यादगार भी रहा और सीख देने वाला भी।

एक बातचीत के दौरान माधुरी ने कहा कि उन्हें ठीक से यह नहीं पता था कि किसी डिश को कितनी देर तक पकाना होता है। उन्होंने बताया कि पहले दिन उन्होंने खाना बहुत ज़्यादा पका दिया था। जब श्रीराम नेने घर आए और उन्होंने वह खाना खाया, तो तारीफ करते हुए कहा कि खाना अच्छा है। हालांकि, जब माधुरी ने खुद उसे चखा तो वह “रबर जैसा” हो चुका था। इस पर उन्होंने हैरानी जताई कि इतना सख्त खाना अच्छा कैसे हो सकता है। तब उनके पति ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह उनका पहला प्रयास है और इस हिसाब से यह वाकई अच्छा है।
माधुरी ने बातचीत में यह भी साझा किया कि उन्होंने बहुत कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया कि 16 साल की उम्र से ही वह लगातार काम करती रहीं और उन्हें किचन में ज़्यादा समय बिताने का मौका नहीं मिला। हालांकि, उन्हें पोहा, अंडे और चपाती जैसी बुनियादी चीज़ें बनाना आता था, लेकिन भारी-भरकम खाना नहीं। उन्होंने कहा कि उनके पति को खाना बनाना बहुत पसंद है और उन्हीं से उन्होंने धीरे-धीरे बहुत कुछ सीखा।
इस अनुभव के ज़रिए रिश्तों में सहयोग और समझ की अहमियत भी सामने आती है। मनोचिकित्सक और लाइफ कोच डेलना राजेश के अनुसार, रोज़मर्रा के छोटे-छोटे पल ही किसी रिश्ते की गहराई को दर्शाते हैं। किसी का पहला प्रयास, खासकर जब वह नया और असहज हो, भावनात्मक रूप से बहुत संवेदनशील होता है। ऐसे समय में साथी का व्यवहार आत्मविश्वास बढ़ा भी सकता है और घटा भी सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि समर्थन का मतलब यह नहीं है कि गलती को सही मान लिया जाए, बल्कि सही समय पर सही शब्दों और सही लहजे में प्रतिक्रिया दी जाए। प्रोत्साहन, समझदारी भरा हास्य और सम्मानजनक प्रतिक्रिया किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाती है। जब किसी व्यक्ति को यह महसूस होता है कि वह बिना परफेक्ट हुए भी स्वीकार्य है, तो वह खुलकर सीखता है और आगे बढ़ता है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टि से, ऐसे रिश्ते जहां आलोचना और ताने आम हो जाते हैं, वहां लोग कोशिश करना बंद कर देते हैं। इसके उलट, सहयोग और भावनात्मक सुरक्षा देने वाला रिश्ता व्यक्ति को आत्मविश्वासी बनाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, एक सहायक जीवनसाथी सबसे पहले दूसरे की गरिमा की रक्षा करता है, खासकर तब जब वह असुरक्षित महसूस कर रहा हो। यही भावनात्मक परिपक्वता और सच्चे रिश्ते की पहचान है।