रणवीर सिंह अभिनीत नई बॉलीवुड जासूसी फिल्म धुरंधर बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त कमाई कर रही है, लेकिन इसके साथ ही यह फिल्म भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में तीखे राजनीतिक विवादों में भी घिर गई है। फिल्म को लेकर जहां भारत में राष्ट्रवादी भावनाओं की सराहना हो रही है, वहीं पाकिस्तान में इसे इतिहास से छेड़छाड़ और नकारात्मक छवि गढ़ने वाला बताया जा रहा है।
भारत-पाक तनाव के बीच रिलीज़ हुई फिल्म
धुरंधर ऐसे समय में सिनेमाघरों में आई है, जब हाल के महीनों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ा है। मई में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट आई थी। ऐसे माहौल में आई इस फिल्म को कई लोग केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश के रूप में भी देख रहे हैं।
फिल्म की कहानी क्या है?
आदित्य धर के निर्देशन में बनी यह 3.5 घंटे लंबी फिल्म एक भारतीय खुफिया एजेंट की कहानी दिखाती है, जो पाकिस्तान के कराची शहर में आतंक और अपराध के नेटवर्क में घुसपैठ करता है। रणवीर सिंह फिल्म में एक सख्त और आक्रामक भारतीय जासूस की भूमिका निभा रहे हैं।
फिल्म में संजय दत्त को पाकिस्तानी सत्ता से जुड़े खलनायक के रूप में दिखाया गया है, जबकि अक्षय खन्ना और आर. माधवन जैसे कलाकार गैंगस्टर और खुफिया अधिकारियों की भूमिकाओं में नजर आते हैं।
पाकिस्तान में क्यों भड़का विरोध?
पाकिस्तान में इस फिल्म को लेकर सबसे ज़्यादा नाराज़गी कराची और उसके इलाकों, खासकर लियारी, की प्रस्तुति को लेकर है। पाकिस्तानी बुद्धिजीवियों का कहना है कि फिल्म ने कराची को पूरी तरह अपराध, आतंक और अराजकता से भरे शहर के रूप में दिखाया है, जो हकीकत से बहुत दूर है।
लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज़ की प्रोफेसर नीदा किरमानी के मुताबिक,
“कराची एक जटिल और जीवंत शहर है। उसे सिर्फ हिंसा और अपराध तक सीमित कर देना गलत और भ्रामक है।”
इसके अलावा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के एक नेता ने कराची की अदालत में याचिका दाखिल कर फिल्म पर आरोप लगाया है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की तस्वीरों का बिना अनुमति इस्तेमाल किया गया है और पार्टी को आतंक समर्थक के रूप में दिखाया गया है।
इतिहास को तोड़-मरोड़कर दिखाने का आरोप
आलोचकों का कहना है कि फिल्म में कराची के स्थानीय गैंग्स को भारत-पाकिस्तान संघर्ष से जोड़ना पूरी तरह काल्पनिक है। इन गैंग्स का कभी भी भारत के खिलाफ किसी भू-राजनीतिक साजिश से कोई लेना-देना नहीं रहा।
फिल्म समीक्षक मयंक शेखर का कहना है कि
“फिल्म बनाने वालों ने शायद कभी कराची देखा ही नहीं। फिर भी उन्होंने उसे एक बमबारी से तबाह शहर के रूप में पेश कर दिया।”
भारत में भी पूरी तरह सहमति नहीं
हालांकि भारत में धुरंधर को जबरदस्त सफलता मिली है, लेकिन यहां भी फिल्म आलोचनाओं से अछूती नहीं रही। भारतीय सेना के शहीद अधिकारी मेजर मोहित शर्मा के परिवार ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि फिल्म उनकी जिंदगी से प्रेरणा लेकर बिना अनुमति बनाई गई है।
फिल्म निर्माताओं का कहना है कि यह पूरी तरह काल्पनिक कहानी है, लेकिन आलोचकों का तर्क है कि फिल्म में असली घटनाओं की ऑडियो रिकॉर्डिंग और न्यूज़ फुटेज का इस्तेमाल इसे वास्तविक दिखाने की कोशिश करता है।
क्या यह बॉलीवुड का नया ट्रेंड है?
विशेषज्ञों के मुताबिक, हाल के वर्षों में बॉलीवुड में ऐसी फिल्में बढ़ी हैं, जो अत्यधिक राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से बनाई जा रही हैं। इन फिल्मों में मुस्लिम किरदारों और पड़ोसी देशों को अक्सर नकारात्मक रूप में दिखाया जाता है।
नीदा किरमानी का कहना है कि
“ऐसी फिल्में भारत में मुसलमानों को भी सांस्कृतिक रूप से हाशिए पर धकेलती हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी आर्टिकल 370 और केरल स्टोरी जैसी फिल्मों की सराहना कर चुके हैं, जबकि आलोचकों ने इन्हें प्रचारात्मक सिनेमा बताया था।
आलोचना करने वालों पर भी हमला
धुरंधर की आलोचना करने वाले कुछ समीक्षकों को सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। मशहूर फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा की एक समीक्षा वीडियो को भारी विरोध के बाद हटाना पड़ा।


