भारत में त्योहारी और शादी के सीज़न के चलते सोने की मांग हर साल बढ़ जाती है, लेकिन 2025 में सोने की कीमतों में जो तेजी देखी जा रही है, वह शायद पहले कभी नहीं हुई। कुछ महीने पहले जिन लोगों ने गोल्ड ज्वैलरी खरीदी या सोने में निवेश किया, वे अब अफ़सोस जता रहे हैं कि काश और खरीद लिया होता। वहीं, जिन्होंने अभी तक निवेश नहीं किया, वे सवाल कर रहे हैं कि क्या कीमतें इसी तरह बढ़ती रहेंगी और क्या अभी गोल्ड खरीदना या गोल्ड ईटीएफ़ में निवेश करना समझदारी होगी।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर के सेंट्रल बैंक अपने गोल्ड रिज़र्व बढ़ा रहे हैं और लोगों का गोल्ड ईटीएफ़ में निवेश का रुझान भी बढ़ा है। खासकर जुलाई से सितंबर तिमाही में गोल्ड ईटीएफ़ में रिकॉर्ड निवेश हुआ। अमेरिका ने इस तिमाही में 16 बिलियन डॉलर, यूरोप ने लगभग 8 बिलियन डॉलर और भारत ने अकेले 902 मिलियन डॉलर यानी करीब 8000 करोड़ रुपए का निवेश किया। एशिया में चीन 602 मिलियन डॉलर और जापान 415 मिलियन डॉलर के निवेश के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। कुल मिलाकर, दुनियाभर में गोल्ड ईटीएफ़ का कुल आकार 472 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो पिछली तिमाही के मुकाबले 23 प्रतिशत अधिक है।
गोल्ड ईटीएफ़ को आप डिजिटल गोल्ड कह सकते हैं। यह एक म्यूचुअल फंड की तरह काम करता है, जो 99.5 प्रतिशत शुद्ध सोने की कीमत को ट्रैक करता है। हर यूनिट की कीमत लगभग एक ग्राम सोने के बराबर होती है और इसे स्टॉक मार्केट में खरीदा-बेचा जा सकता है। गोल्ड ईटीएफ़ में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट होना आवश्यक है। निवेशक शेयर बाज़ार के कारोबारी घंटों में कभी भी यूनिट खरीद या बेच सकते हैं। यदि डीमैट अकाउंट न हो तो गोल्ड म्यूचुअल फंड निवेश का एक आसान विकल्प है।
सोने की चमक बढ़ने के पीछे कई वैश्विक कारण भी हैं। ट्रंप की टैरिफ़ पॉलिसी, रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व में तनाव और डॉलर की कमजोरी ने निवेशकों का ध्यान सोने की ओर खींचा है। अमेरिका में हाल ही में हुआ शटडाउन और अमेरिकी सेंट्रल बैंक द्वारा 25 बेसिस पॉइंट की ब्याज दर में कटौती ने भी शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ाई है। ऐसे समय में निवेशक सोने को सुरक्षित विकल्प मानते हुए इसमें निवेश कर रहे हैं।
सेंट्रल बैंक्स भी सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, अगस्त 2025 में कज़ाख़स्तान, बुल्गारिया, अल साल्वाडोर, भारत, चीन और क़तर जैसे देश गोल्ड रिज़र्व में इजाफ़ा कर रहे हैं। दिसंबर 2024 तक अमेरिका के पास 8133 टन गोल्ड रिज़र्व था, जर्मनी 3351 टन, इटली 2451 टन, फ़्रांस 2436 टन और चीन 2280 टन के साथ शीर्ष पांच देशों में शामिल थे। भारत 876 टन के गोल्ड रिज़र्व के साथ सातवें नंबर पर था।
इतिहास पर नजर डालें तो पिछले 20 सालों में सिर्फ चार वर्ष ऐसे रहे हैं, जब सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई। 2013 में 4.5 प्रतिशत, 2014 में 7.9 प्रतिशत, 2015 में 6.65 प्रतिशत और 2021 में 4.21 प्रतिशत की गिरावट हुई। इस तरह, सोने में निवेश लंबे समय में अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है।
भविष्य में भी सोने की कीमतों को लेकर विशेषज्ञों का अनुमान है कि साल 2026 के मध्य तक कीमतों में लगभग 6 प्रतिशत का और इजाफ़ा हो सकता है। हालांकि सटीक भविष्यवाणी करना मुश्किल है। फिर भी निवेशकों का रुझान गोल्ड ईटीएफ़ और फिजिकल गोल्ड की तरफ लगातार बढ़ रहा है, जो इस धातु में लोगों के भरोसे को दर्शाता है।
कुल मिलाकर, सोने की कीमतें बढ़ने के पीछे वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, सेंट्रल बैंक्स की खरीदारी और निवेशकों का भरोसा मुख्य कारण हैं। भारत में त्योहारी और शादी के सीज़न में इस धातु की मांग और निवेश की प्रवृत्ति और बढ़ती है, जिससे यह मार्केट के लिए हमेशा आकर्षक बनी रहती है।