मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में प्रस्तावित बाबरी मस्जिद को लेकर विवाद एक बार फिर गहरा गया है। बिना सरकारी अनुमति शिलान्यास किए जाने के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में एक और जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि जिला प्रशासन, स्थानीय निकाय और संबंधित सरकारी विभागों से मंजूरी लिए बिना मस्जिद का शिलान्यास कर दिया गया, जो नियमों के विपरीत है।
क्या है मामला?
गत 6 दिसंबर को तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने बेलडांगा में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास किया था। उन्होंने यहां करीब 300 करोड़ रुपये की लागत से मस्जिद निर्माण की घोषणा भी की। इस कार्यक्रम को लेकर स्थानीय स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी है।
हाई कोर्ट में याचिका
हाई कोर्ट के अधिवक्ता अर्नब कुमार घोष ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजय पाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ता ने अदालत से इस पूरे मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि—
- मस्जिद निर्माण की मंजूरी नहीं ली गई है।
- स्थानीय निकाय या जिला प्रशासन से कोई आधिकारिक अनुमति उपलब्ध नहीं है।
- यह कदम राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकता है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, मस्जिद निर्माण का मुद्दा एक समुदाय की भावनाओं को भुनाने का साधन न बने, इसके लिए कोर्ट को हस्तक्षेप करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ज़िक्र
याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट मूल बाबरी मस्जिद विवाद पर पहले ही अंतिम फैसला दे चुका है। ऐसे में “नई बाबरी मस्जिद” के नाम पर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है, जो सामाजिक सौहार्द के लिए ठीक नहीं है।
अदालत में जल्द सुनवाई संभव
मामले की गंभीरता को देखते हुए अनुमान है कि हाई कोर्ट जल्द ही इस जनहित याचिका पर सुनवाई की तारीख तय कर सकता है।