दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए बम धमाकों की जांच में अब एक अहम सुराग हाथ लगा है। जांच एजेंसियों ने पुष्टि की है कि कार में मिली अधजली लाश अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉ. उमर मोहम्मद की थी। DNA टेस्ट में उमर के अवशेषों का सैंपल उसकी मां के DNA से 100% मैच हुआ है। इससे यह साफ हो गया है कि धमाके के बाद फरार बताए जा रहे उमर की मौत उसी कार विस्फोट में हुई थी।
सूत्रों के मुताबिक, एनआईए और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को कार के अंदर से कुछ बॉडी पार्ट्स मिले थे, जिनका DNA टेस्ट कराया गया। रिपोर्ट आने के बाद जांच टीम को बड़ा सबूत मिल गया है कि उमर ही उस कार में मौजूद था, जिसने धमाके के बाद आग पकड़ ली थी।
डॉ. उमर और उसका साथी डॉ. मुजम्मिल फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। जांच में पता चला है कि दोनों ही उच्च शिक्षित होकर आतंक के रास्ते पर चले गए थे और उन्होंने ही दिल्ली ब्लास्ट की साजिश रची थी। इससे पहले फरीदाबाद में करीब 3,000 विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी, जिसे इन्हीं डॉक्टरों से जोड़ा गया है।
एनआईए की टीम अब यह जांच कर रही है कि इस आतंकी नेटवर्क के पीछे कौन से विदेशी संगठन शामिल हैं और धमाकों के लिए फंडिंग कहां से की गई थी। वहीं, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा है कि दोनों आरोपी डॉक्टरों को जांच के बाद संस्थान से निलंबित कर दिया गया है।
जांच एजेंसियां अब डॉ. मुजम्मिल की तलाश में हैं, जो धमाके के बाद से फरार बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि वह देश छोड़ने की फिराक में था। इस पूरे मामले ने देश की राजधानी और हरियाणा पुलिस को अलर्ट पर ला दिया है, जबकि एनआईए की टीमें लगातार फरीदाबाद और दिल्ली में छापेमारी कर रही हैं।
