पूर्वी भारत में सक्रिय कोयला माफिया नेटवर्क पर नकेल कसते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल और झारखंड में एक विस्तृत और सबसे बड़ी छापेमारी अभियान चलाया।
सुबह 6 बजे शुरू हुए इस ऑपरेशन में 100 से अधिक अधिकारी शामिल रहे और दोनों राज्यों में 40 से अधिक ठिकानों पर एकसाथ छापे मारे गए।
कौन-कौन आए राडार पर? (लोगों के नाम)
छापेमारी उन व्यक्तियों पर केंद्रित थी जो वर्षों से अवैध कोयला खनन, परिवहन और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में संदिग्ध माने जाते रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के नाम:
- नरेंद्र खरका (Narendra Kharka) – कुख्यात कोयला ऑपरेटर
- युधिष्ठिर घोष (Yudhisthir Ghosh) – कोयला स्टॉक और ट्रांसपोर्टर
- कृष्ण मुरारी कयाल (Krishna Murari Kayal) – बड़े कोल डिपो मालिक
- अमर मंडल (Amar Mandal) – कथित सिंडिकेट संचालक
- राहुल दे (Rahul De) – ट्रांसपोर्ट नेटवर्क से जुड़ा नाम
- कृष्णेन तिवारी – स्थानीय दलाल और लॉजिस्टिक एजेंट
झारखंड के नाम:
- अनिल गोयल (Anil Goyal) – प्रमुख कोयला कंस्ट्रक्शन/ट्रांसपोर्ट ठेकेदार
- एल.बी. सिंह (L.B. Singh) – अवैध परिवहन नेटवर्क का कथित मास्टरमाइंड
- श्रीनिवास तिवारी – कोयला सप्लाई और ट्रक लाइन कनेक्शन
- संजय उद्योग (Sanjay Udyog Group) – कोयला स्टॉक का बड़ा नाम
- विक्रम अग्रवाल – खदानों से खरीद और डिपो प्रबंधन
- मुस्लिम मियां और उसके सहयोगी – जharia–katras बेल्ट के स्थानीय ऑपरेटर
इन सभी से जुड़े घर, दफ्तर, गोदाम, कोयला डिपो और परिवहन नेटवर्क की ED ने तलाशी ली।
कहाँ-कहाँ पड़े छापे?
पश्चिम बंगाल:
- दुर्गापुर
- आसनसोल
- पुरुलिया
- कोलकाता (सॉल्ट लेक, बड़ाबाज़ार, बेहाला)
- बांकुड़ा
- हावड़ा
- खड़गपुर
झारखंड:
- धनबाद (झरिया, कतरास, गोविंदपुर, निरसा)
- बोकारो
- गिरिडीह
- चंद्रपुरा
- रामगढ़
- पतरातू
इन इलाकों को अवैध कोयला खनन और तस्करी का मुख्य केंद्र माना जाता है।
क्या-क्या मिला? — भारी बरामदगी
पश्चिम बंगाल में बरामद:
- ₹8 करोड़ नकद
- सोना व ज्वैलरी
- कोयला-ट्रक रूट मैप और लेजर
- विदेशी मुद्रा
- कंप्यूटर व हार्ड डिस्क
झारखंड में बरामद:
- ₹2.2 करोड़ नकद
- 120+ जमीन के दस्तावेज (land deeds)
- 50+ फर्जी कंपनियों और खातों से जुड़े कागज़
- हाई-एंड SUV और पिकअप वाहन
- प्रिंटेड नकली चालान
क्यों हुआ इतना बड़ा ऑपरेशन?
ED की यह कार्रवाई PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम) के तहत चल रही जांच का हिस्सा है।
कोयला माफिया पर आरोप है कि वे:
- सरकारी खदानों से चोरी का कोयला निकालकर
- स्थानीय अधिकारियों को रिश्वत देकर उसे पास करवाते
- अवैध डिपो में जमा करते
- फिर दलालों के जरिए बड़े उद्यमों को बेच देते
इस नेटवर्क से सरकार को हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होता है।
ED की रणनीति
एजेंसी ने सभी ठिकानों पर एक ही समय छापा मारा, ताकि कोई भी संदिग्ध:
- मोबाइल नष्ट
- दस्तावेज़ गायब
- या कैश ट्रांसफर
न कर सके।
इस ऑपरेशन में CRPF को सुरक्षा के लिए लगाया गया।
आगे क्या होगा?
- सभी संदिग्धों को बयान दर्ज कराने के लिए समन भेजा जाएगा
- जब्त नकदी और ज्वैलरी की वैधता की जांच होगी
- शेल कंपनियों और बैंक खातों का फॉरेंसिक ऑडिट
- जिन संपत्तियों को “अपराध की कमाई” माना जाएगा, उन्हें कुर्क किया जा सकता है
ED सूत्रों के अनुसार, यह सिर्फ पहला चरण है — अगले दिनों में और भी बड़ी कार्रवाई की संभावना है