भारत को हाल ही में घरेलू टेस्ट सीरीज़ में दक्षिण अफ़्रीका से 0-2 की अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा। यह पिछले 25 सालों में भारत में दक्षिण अफ़्रीका की पहली जीत है। हार के साथ ही भारत की वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) रैंकिंग तीसरे से पांचवें स्थान पर खिसक गई।
टीम चयन और रणनीति पर उठे सवाल

विशेषज्ञों ने भारत के टीम चयन और रणनीति पर सवाल उठाए। कोलकाता टेस्ट में चार स्पिनरों को खिलाना, ज्यादा ऑलराउंडर खिलाड़ियों को जगह देना और वॉशिंगटन सुंदर को नंबर तीन से आठ पर भेजना जैसी निर्णयों को आलोचना का निशाना बनाया गया। टीम ने विरोधी टीम को हल्के में लिया और तैयारी पर ध्यान कम दिया।
खिलाड़ियों का कमजोर प्रदर्शन
कई प्रमुख खिलाड़ी अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए। ऋषभ पंत और यशस्वी जायसवाल जैसे खिलाड़ी तकनीकी और मानसिक दबाव में कमजोर दिखे। युवा खिलाड़ी साई सुदर्शन, नीतीश कुमार रेड्डी और ध्रुव जुरेल भी अपनी जगह बनाने में नाकाम रहे। वहीं कुछ खिलाड़ी जैसे रवींद्र जडेजा, जसप्रीत बुमराह, कुलदीप यादव और मोहम्मद सिराज ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन टीम को जीत दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं था।
कोच गौतम गंभीर पर बढ़ी आलोचना
हार के बाद कोच गौतम गंभीर की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। उनके फैसलों, टीम चयन, मैच योजना और खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत करने की क्षमता को लेकर आलोचना हुई। गंभीर की कोचिंग में भारत के आख़िरी सात घरेलू टेस्ट मैचों में से पांच में हार दर्ज की गई है।
भारत की टेस्ट प्रतिष्ठा पर प्रभाव
2000 के बाद से भारत को घरेलू टेस्ट में अजेय माना जाता था, लेकिन अब यह धारणा कमजोर पड़ गई है। भारतीय पिचों और घरेलू परिस्थितियों का विरोधी टीमों ने बेहतर इस्तेमाल किया। आलोचक मानते हैं कि भारतीय टीम की तकनीकी तैयारी, मानसिक मजबूती और रेड-बॉल क्रिकेट पर ध्यान कम होना इस गिरावट का मुख्य कारण है।