पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान राजनीतिक हलकों में हलचल मचा रहा है। SIR प्रक्रिया के खिलाफ शुरू से ही मुखर रहीं ममता बनर्जी ने अंतिम दिन तक भी SIR फॉर्म नहीं भरा। उन्होंने साफ कहा कि उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने की कोई आवश्यकता नहीं है और यह प्रक्रिया उनके लिए “अपमानजनक” है।
“क्यों भरूँ फॉर्म? इससे तो जमीन पर नाक रगड़ना बेहतर” — ममता बनर्जी
गुरुवार को मीडिया से बातचीत में ममता बनर्जी ने कहा,
“मैंने अभी तक फॉर्म फिलअप नहीं किया है। क्यों करूं? मैं तीन बार की केंद्रीय मंत्री रही हूं, सात बार सांसद रही हूं और आपके आशीर्वाद से तीन बार मुख्यमंत्री बनी हूं। अब क्या मुझे प्रमाणित करना होगा कि मैं नागरिक हूं या नहीं? इससे तो जमीन में नाक रगड़ना बेहतर है।”
मुख्यमंत्री के इस बयान को विपक्ष चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर हमला बता रहा है, जबकि सत्तारूढ़ टीएमसी इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा” का मुद्दा बता रही है।
Bengal में SIR प्रक्रिया पूरी, वोटर लिस्ट जल्द जारी होगी
राज्य भर में 11 दिसंबर तक SIR फॉर्म भरने की प्रक्रिया चली, जिसमें प्रत्येक मतदाता को अपने दस्तावेज़ अपडेट या सत्यापित करने थे। अब अगले सात दिनों के भीतर चुनाव आयोग संशोधित मतदाता सूची जारी करेगा।
SIR प्रक्रिया को लेकर राज्य में लगातार राजनीतिक विवाद चल रहा है। विपक्ष का कहना है कि यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है, जबकि ममता बनर्जी और उनकी सरकार इसे “अनावश्यक बोझ” और “नागरिकों का अपमान” मानती है।
राजनीतिक तापमान बढ़ा
मुख्यमंत्री द्वारा खुलेआम फॉर्म न भरने की घोषणा के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि यदि नियम लागू रहे तो क्या उनका नाम वोटर लिस्ट से हट सकता है?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आगामी चुनावों से पहले यह मुद्दा “भावनात्मक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर बड़ा असर” डाल सकता है।