
हस्तरेखा शास्त्र में शनि रेखा का बहुत विशेष महत्व माना गया है। ज्योतिषियों के अनुसार हथेली में मौजूद यह रेखा व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, सफलता और आर्थिक उन्नति से जुड़ी होती है। कहा जाता है कि जिनकी हथेली में शनि रेखा स्पष्ट, गहरी और बिना किसी टूट-फूट के दिखती है, उनके जीवन में 35 वर्ष की उम्र के बाद अच्छे दिन तेजी से शुरू हो जाते हैं।
शनि रेखा कहां होती है?
हथेली की मध्यमा उंगली के नीचे का हिस्सा ‘शनि पर्वत’ कहलाता है। शनि की रेखा इसी पर्वत की ओर जाती हुई दिखती है। यह रेखा आमतौर पर हथेली के बीचों-बीच या नीचे की ओर से शुरू होती है और सीधे मध्यमा उंगली की ओर बढ़ती है। अगर रेखा लंबी और साफ हो तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
क्या संकेत देती है शनि रेखा?
ज्योतिष मान्यता के अनुसार जिन लोगों के हाथ में मजबूत शनि रेखा होती है, वे जीवन में संघर्ष जरूर करते हैं, लेकिन सफलता स्थायी और मजबूत होती है। ऐसे लोग धैर्यवान, मेहनती और व्यवहार में संतुलित माने जाते हैं। इनमें निर्णय लेने की क्षमता अच्छी होती है और कठिन समय में भी ये खुद को संभाल लेते हैं।
35 वर्ष के बाद बढ़ता है भाग्य
हस्तरेखा विशेषज्ञों का कहना है कि शनि रेखा वाले लोगों को जीवन में असली सफलता 35 वर्ष के बाद मिलती है। इस समय के बाद भाग्य का सितारा प्रबल होता है, पद-प्रतिष्ठा बढ़ती है और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। करियर में प्रमोशन, व्यवसाय में लाभ और समाज में मान-सम्मान जैसी उपलब्धियाँ इसी उम्र के बाद मिलने लगती हैं।
शनि रेखा का साफ और सीधा होना क्यों जरूरी?
यदि यह रेखा टूटी हुई, टेढ़ी-मेढ़ी या धुंधली हो, तो यह करियर में रुकावट, मानसिक दबाव या निर्णयों में उलझन को दर्शाती है। वहीं गहरी, लंबी और सीधी रेखा व्यक्ति को जीवनभर स्थिरता और मजबूत भाग्य का साथ देती है।