दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज 2-1 से जीतने के बाद भी टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर का गुस्सा कम नहीं हुआ। विशाखापट्टनम में तीसरा वनडे जीतने के बाद जब गंभीर प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहुंचे, तो उनका मूड काफी गर्म नजर आया। टेस्ट सीरीज में मिली हार के बाद जिस तरह सोशल मीडिया पर टीम और कोचिंग स्टाफ को ट्रोल किया गया, उसकी चुभन गंभीर के चेहरे पर साफ दिखी।
दरअसल, एक पत्रकार ने गंभीर से पूछा कि वह मैदान से बाहर आने वाली खबरों और चर्चाओं को कैसे हैंडल करते हैं? इस पर गंभीर ने सख्त लहजे में जवाब देते हुए कहा कि लोग यह भूल गए कि भारत पहला टेस्ट सिर्फ 30 रन से हारा था—वह भी तब जब टीम के सबसे भरोसेमंद टेस्ट बल्लेबाज और कप्तान पूरी तरह फिट नहीं थे। उन्होंने कहा कि यह आसान होता है बाहर बैठकर टिप्पणी करना, लेकिन टीम मैनेजमेंट कभी किसी की सीमा में दखल नहीं देता, इसलिए दूसरों को भी अपनी सीमा में रहना चाहिए।
गंभीर यहीं नहीं रुके। उन्होंने बिना नाम लिए सीधे दिल्ली कैपिटल्स के सह मालिक पार्थ जिंदल पर निशाना साध दिया। टेस्ट सीरीज हारने के बाद जिंदल ने सोशल मीडिया पर सलाह दी थी कि भारतीय टीम को रेड-बॉल फॉर्मेट के लिए अलग स्पेशलिस्ट कोच नियुक्त करना चाहिए। गंभीर ने इस बयान पर नाराजगी जताते हुए साफ कहा कि “कुछ लोग अपने दायरे से बाहर जाकर बयान दे रहे हैं, जबकि टीम मैनेजमेंट ऐसी हस्तक्षेप वाली सोच को कभी बढ़ावा नहीं देता।”
टेस्ट सीरीज में खराब प्रदर्शन और फिर उस पर हुई आलोचनाओं ने गंभीर को परेशान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि एक वनडे सीरीज जीतकर टेस्ट हार को छुपाया नहीं जा सकता, और टीम को आगे आने वाली चुनौतियों के लिए और बेहतर तैयारी करनी होगी।
इस बीच, पार्थ जिंदल के उस बयान पर भी फिर से चर्चा शुरू हो गई है, जिसमें उन्होंने लिखा था कि भारत अब रेड-बॉल फॉर्मेट में अपनी पहचान खोता दिख रहा है और टीम को तुरंत एक स्पेशलिस्ट टेस्ट कोच की जरूरत है। गंभीर के ताजा बयान ने इस बहस को और तेज कर दिया है।