सोशल मीडिया कभी-कभी सिर्फ एक संवाद का माध्यम नहीं रहता, बल्कि यह नफरत और भय फैलाने का हथियार भी बन सकता है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला जब केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को एक अनजान इंस्टाग्राम अकाउंट से जान से मारने की धमकी दी गई। मैसेज में साफ तौर पर लिखा गया था — “तुम्हें 20 जुलाई से पहले बम से उड़ा देंगे।” यह केवल एक धमकी नहीं, बल्कि लोकतंत्र में एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को डराने और चुप कराने की कोशिश है, जिसने सोशल मीडिया के प्रयोग को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं।
एफआईआर के बाद जांच तेज़, आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस
धमकी मिलने के तुरंत बाद चिराग पासवान ने इस मामले को दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के पास पहुंचाया। पुलिस ने इस गंभीर मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच शुरू हो चुकी है। शुरुआती जानकारी के अनुसार, धमकी एक फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट से भेजी गई है। पुलिस तकनीकी माध्यमों, जैसे IP एड्रेस ट्रेसिंग, के ज़रिए आरोपी की पहचान में जुटी है और हर पहलू की गहराई से पड़ताल की जा रही है।
चिराग पासवान का सख्त संदेश – “मैं डरने वाला नहीं हूं”
इस पूरे घटनाक्रम पर चिराग पासवान ने संयमित लेकिन दृढ़ प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “मैं डरने वाला नहीं हूं। जनता की सेवा करना मेरा कर्तव्य है। मगर ऐसे मामलों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। कानून को सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि कोई और ऐसी हरकत करने की हिम्मत न करे।” उनका यह संदेश न केवल आरोपियों को चेतावनी है, बल्कि सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालों के लिए भी एक स्पष्ट संकेत है।
डिजिटल युग में नेताओं की सुरक्षा पर नए सवाल
डिजिटल तकनीक ने जहां संवाद को सरल बनाया है, वहीं इसके नकारात्मक पक्ष भी तेजी से उभर रहे हैं। फर्जी पहचान बनाकर किसी को डराना या धमकी देना अब आसान हो चुका है। इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हमारे नेता डिजिटल दुनिया में सुरक्षित हैं? क्या सोशल मीडिया कंपनियों को ऐसे मामलों में और अधिक जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए? और क्या साइबर निगरानी को और मज़बूत बनाने का समय नहीं आ गया है?
राजनीतिक गलियारों में हलचल, समर्थन में उठे स्वर
घटना के सामने आने के बाद सियासी गलियारों में भी हलचल देखी गई। विभिन्न दलों के नेताओं ने चिराग पासवान के साथ एकजुटता जताई और धमकी देने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने इस तरह की घटनाओं की निंदा की और सरकार से अपील की कि आरोपी को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कठोर सजा दी जाए।
एक चेतावनी जो नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकती
यह पहली बार नहीं है जब किसी नेता को इस तरह की धमकी मिली हो, लेकिन अब समय आ गया है कि हम सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित न रहें। साइबर अपराध अब महज़ एक तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा हमला है। इससे सख्ती से निपटना होगा। यदि हम आज चुप रहे, तो यह चुप्पी कल और बड़ी हिंसा का रूप ले सकती है।