
भारत पहुँचने के कुछ ही घंटों बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक भारतीय टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अमेरिका की ऊर्जा नीति पर तीखा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब स्वयं अमेरिका रूस से यूरेनियम और ऊर्जा स्रोत खरीदता है, तो भारत पर रूसी ईंधन आयात घटाने का दबाव “दोहरा मानदंड” है। पुतिन का कहना था कि यदि अमेरिका को यह अधिकार है, तो भारत को भी वही अधिकार मिलना चाहिए।
नई दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन का स्वयं स्वागत किया। चार साल बाद हो रही इस यात्रा के बीच, अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ़ के कारण रूस से भारत के तेल आयात में हाल के महीनों में करीब 30% की गिरावट दर्ज की गई है। पुतिन ने हालांकि दावा किया कि भारत-रूस की ऊर्जा साझेदारी स्थिर है और “तात्कालिक उतार-चढ़ाव या यूक्रेन की घटनाओं” से प्रभावित नहीं होगी।
इंटरव्यू के दौरान पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को “बेहद भरोसेमंद और समझदार नेता” बताते हुए कहा कि “भारत ख़ुशकिस्मत है कि उसे मोदी जैसा नेता मिला है… वह भारत के लिए जीते और साँस लेते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि रूस भारत के साथ व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए अधिक भारतीय उत्पाद आयात करने के विकल्प तलाश रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए नए टैरिफ़ और रूस से तेल खरीद पर उठाए गए सवालों के बीच, पुतिन ने ट्रंप की नीतियों को “उनके सलाहकारों का प्रभाव” बताया, लेकिन उम्मीद जताई कि वैश्विक व्यापार नियमों में हो रहे उल्लंघन भविष्य में ठीक हो जाएंगे। इसी बीच, आधिकारिक आँकड़े बताते हैं कि अक्टूबर 2025 में रूस से भारतीय आयात लगभग 28% गिरा है, जिससे संकेत मिलता है कि भारत अमेरिकी दबाव के चलते कुछ हद तक खरीद में बदलाव कर रहा है।
भारत और रूस के बीच संबंधों को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता दोनो नेताओं की हालिया मुलाक़ातों में भी दिखी है—चाहे वह मॉस्को में हुई लंबी बातचीत हो या एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान की मुलाक़ात। पुतिन ने कहा कि उनके और मोदी के बीच “बहुत खुला और विश्वास-आधारित” रिश्ता है, जो दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने का आधार है।