नई दिल्ली — देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की फ्लाइट ऑपरेशंस में पिछले चार दिनों से चल रहे संकट ने यात्रियों की यात्रा को अस्त‑व्यस्त कर दिया है। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम जैसे प्रमुख एयरपोर्ट्स पर कई फ्लाइट्स कैंसल हुई हैं, जिससे हज़ारों पैसेंजर्स लंबी कतारों, अनिश्चित सफर और तनावपूर्ण हालात का सामना कर रहे हैं।
इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स ने 5 दिसंबर को 1,000 से अधिक फ्लाइट्स के कैंसल होने की घटना को स्वीकार करते हुए माफी मांगी। उन्होंने बताया कि टेक्निकल और स्टाफिंग चुनौतियों के कारण ऑपरेशंस प्रभावित हुए। इसके बाद केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने स्थिति सुधारने के लिए इंडिगो अधिकारियों से बैठक की और निर्देश दिए कि सभी पैसेंजर्स को समय पर अपडेट, रिफंड और वैकल्पिक फ्लाइट उपलब्ध कराई जाए।
इंडिगो की इस परेशानी के बीच स्पाइसजेट और एयर इंडिया ने अतिरिक्त फ्लाइट्स शुरू की हैं, ताकि पैसेंजर्स की बढ़ती मांग को संभाला जा सके। हालांकि, कई एयरपोर्ट्स पर अभी भी पैसेंजर्स लंबी कतारों और अफरा‑तफरी का सामना कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर मुंबई एयरपोर्ट का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें थके‑हारे यात्रियों को एयरलाइन काउंटर पर जवाब मांगते देखा गया।
सुप्रीम कोर्ट में भी जनहित याचिका दायर हुई है, जिसमें इंडिगो के करीब 1,000 फ्लाइट कैंसल होने के कारण पैसेंजर्स की परेशानियों और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन का मुद्दा उठाया गया है। याचिका में वैकल्पिक यात्रा व्यवस्था और मुआवजे की मांग भी की गई है।
रेलवे ने राहत के तौर पर 6 दिसंबर से 12 दिसंबर के बीच आठ स्पेशल ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है। इनमें प्रमुख रूट हैं:
- पुणे–बेंगलुरु, पुणे–हजरत निजामुद्दीन
- मुंबई (टीएलटी)–गोवा, मुंबई (छत्रपति शिवाजी)–हजरत निजामुद्दीन
- नागपुर–मुंबई, गोरखपुर–मुंबई, बिलासपुर–मुंबई
जम्मू एयरपोर्ट पर इंडिगो के सभी ऑपरेशंस अगले 60 घंटों के लिए सस्पेंड कर दिए गए हैं, जिससे वहां सुबह से पूरी तरह सन्नाटा है।
एयरलाइन का कहना है कि ऑपरेशंस को सामान्य करने में कुछ दिन लग सकते हैं, लेकिन डीजीसीए की निगरानी में रिफंड और वैकल्पिक फ्लाइट्स की व्यवस्था जारी है। विशेषज्ञों के अनुसार, 10‑15 दिसंबर तक इंडिगो अपने नॉर्मल शेड्यूल पर लौट सकती है।
इस संकट ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसल होने पर एयरलाइन, मंत्रालय और रेलवे की आपातकालीन तैयारियों का क्या असर पड़ता है, और पैसेंजर्स को किस हद तक राहत मिल पाती है।