दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले की जांच अब अल-फलाह यूनिवर्सिटी तक पहुंच गई है। जांच एजेंसियों ने विश्वविद्यालय के करीब 200 डॉक्टरों और स्टाफ सदस्यों को जांच के दायरे में लिया है। ब्लास्ट के बाद से ही NIA, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, फरीदाबाद क्राइम ब्रांच और यूपी ATS की टीमें लगातार कैंपस में डेरा डाले हुए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ब्लास्ट में शामिल संदिग्ध डॉ. उमर उन नबीके अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े रहने और उसे यहां विशेष सुविधा मिलने के इनपुट के बाद पूरी यूनिवर्सिटी की गतिविधियों की खंगाल की जा रही है। कई कर्मचारियों ने बताया कि उमर बहुत कम क्लास लेता था और अक्सर 15–20 मिनट का लेक्चर लेकर अपने कमरे में लौट जाता था। कुछ डॉक्टरों ने यह भी संकेत दिया कि उसे शिफ्ट बदलने में भी विशेष छूट दी जाती थी।
जांच एजेंसियों ने अब तक 1,000 से अधिक लोगों से पूछताछ की है। कई डॉक्टरों के फोन से डिलीट किए गए डेटा को भी रिकवर किया जा रहा है। होस्टलों, स्टाफ क्वार्टर और बाहरी रेंटल कमरों में भी तलाशी ली गई है। यूनिवर्सिटी में आने-जाने वाले वाहनों की चेकिंग और आईडी वेरिफिकेशन भी सख्त कर दिया गया है।
इस कार्रवाई के बाद कैंपस में चिंता का माहौल है। कई डॉक्टर और अन्य कर्मचारी अपना सामान लेकर छुट्टी पर चले गए हैं। वहीं जांच एजेंसियों का कहना है कि कुछ फैकल्टी सदस्यों ने नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना NOC के अन्य राज्यों से यहां नौकरी ज्वॉइन की थी, इसलिए सभी दस्तावेज दोबारा खंगाले जा रहे हैं।
जांच टीमों ने फिलहाल अल-फलाह यूनिवर्सिटी में अस्थायी कंट्रोल रूम भी बना दिया है ताकि किसी भी सुराग को तुरंत जांच में शामिल किया जा सके। अधिकारियों का कहना है कि यदि जरूरत पड़ी तो और स्टाफ को भी पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
दिल्ली ब्लास्ट केस में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है और जांच एजेंसियों का ध्यान इस बात पर है कि कहीं यूनिवर्सिटी के भीतर कोई संगठित नेटवर्क तो सक्रिय नहीं था।