निर्देशक नीरज घायवान की फिल्म Homebound ने ऑस्कर 2026 में भारत के लिए बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ईशान खट्टर और विशाल जेठवा अभिनीत यह फिल्म Best International Feature Film कैटेगरी की शॉर्टलिस्ट (टॉप 15) में जगह बनाने वाली भारत की पांचवीं फिल्म बन गई है। सितंबर में भारत की आधिकारिक एंट्री चुने जाने के बाद Homebound ने 86 देशों की फिल्मों से मुकाबला करते हुए यह मुकाम हासिल किया है।
शॉर्टलिस्ट में आना क्यों है बड़ी बात?
ऑस्कर की इंटरनेशनल फीचर कैटेगरी दुनिया की सबसे कठिन प्रतिस्पर्धाओं में से एक मानी जाती है। इस श्रेणी में वोटिंग के लिए अकादमी के सदस्यों को सभी चयनित फिल्मों को देखना होता है, तभी वे मतदान कर पाते हैं। ऐसे में Homebound का टॉप 15 तक पहुंचना अपने आप में एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय मान्यता है।
इस लिस्ट में Homebound का मुकाबला ईरान-फ्रांस की जाफ़र पनाही की It Was Just An Accident और साउथ कोरिया के मशहूर निर्देशक पार्क चान-वूक की No Other Choice जैसी दमदार फिल्मों से है।
इससे पहले कितनी भारतीय फिल्में यहां तक पहुंचीं?
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, Homebound से पहले केवल चार भारतीय फिल्में ऑस्कर शॉर्टलिस्ट तक पहुंची थीं।
- Mother India (1957)
- Salaam Bombay! (1988)
- Lagaan (2001)
- Last Film Show (2021)
इनमें Mother India, Salaam Bombay! और Lagaan को फाइनल नॉमिनेशन मिला था, हालांकि ऑस्कर जीत अब तक भारत के हाथ नहीं आया है।
फिल्म इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया
फिल्म के निर्माता करण जौहर ने सोशल मीडिया पर खुशी जाहिर करते हुए लिखा कि Homebound का सफर “कान्स से लेकर ऑस्कर शॉर्टलिस्ट तक बेहद भावुक और गर्व से भरा” रहा है। वहीं निर्देशक नीरज घायवान ने इसे पूरी टीम और दर्शकों के समर्थन का नतीजा बताया।
आगे का रास्ता कितना मुश्किल?
अब Homebound को शॉर्टलिस्ट से टॉप 5 नॉमिनेशन में जगह बनानी होगी, जो और भी कठिन चुनौती है। भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह भी है कि अब तक देश ने इस कैटेगरी में ऑस्कर नहीं जीता है। पिछली बार Lagaan को नॉमिनेशन मिले हुए भी दो दशक से ज्यादा समय हो चुका है।
आगे क्या होगा?
ऑस्कर 2026 के लिए अंतिम वोटिंग 12 से 16 जनवरी 2026 के बीच होगी, जबकि 22 जनवरी 2026 को आधिकारिक नॉमिनेशन की घोषणा की जाएगी। अगर Homebound टॉप 5 में जगह बना लेती है, तो यह भारतीय सिनेमा के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा।
कुल मिलाकर, Homebound का ऑस्कर शॉर्टलिस्ट में पहुंचना भारतीय इंडिपेंडेंट सिनेमा की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय पहचान का संकेत है। अब निगाहें जनवरी पर टिकी हैं—क्या नीरज घायवान की यह संवेदनशील कहानी इतिहास रच पाएगी?
