
प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय से जुड़े जवाहरलाल नेहरू के पत्रों को लेकर विवाद तेज हो गया है
केंद्र सरकार ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से इन पत्रों और दस्तावेजों को वापस लौटाने को कहा है
सरकार का कहना है कि ये दस्तावेज निजी संपत्ति नहीं बल्कि राष्ट्रीय धरोहर हैं
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़े पत्र और दस्तावेज देश की ऐतिहासिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं
इन्हें प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय में संरक्षित किया जाना चाहिए ताकि शोधकर्ता और आम लोग इनका अध्ययन कर सकें
सरकारी जानकारी के मुताबिक वर्ष 1971 में नेहरू से जुड़े कई अहम पत्र और दस्तावेज नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी को सौंपे गए थे
वर्ष 2008 में सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के अनुरोध पर लगभग इक्यावन कार्टन दस्तावेज संग्रहालय से वापस लिए गए
इस मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से सरकार से माफी की मांग की गई थी
केंद्र सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया है
सरकार का कहना है कि तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है और यह मामला राजनीति से नहीं बल्कि राष्ट्रीय दस्तावेजों के संरक्षण से जुड़ा है
प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय प्रशासन पहले भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पत्र लिखकर दस्तावेज लौटाने या उनकी डिजिटल प्रति देने का अनुरोध कर चुका है
अब तक इस पर कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है
नेहरू के पत्रों को लेकर शुरू हुआ यह मामला अब राजनीतिक बहस का रूप ले चुका है
भाजपा इसे राष्ट्रीय विरासत से जुड़ा विषय बता रही है
कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रही है
केंद्र सरकार ने दोहराया है कि नेहरू से जुड़े पत्र और दस्तावेज देश की साझा विरासत हैं
इन्हें सार्वजनिक संग्रहालय में वापस लौटाया जाना चाहिए