कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के 32 हजार प्राथमिक शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। अदालत की डिवीजन बेंच ने वह आदेश रद्द कर दिया है, जिसमें पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस रीताब्रत कुमार मित्रा की बेंच ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति को बिना ठोस सबूत के खारिज नहीं किया जा सकता।
यह फैसला 12 नवंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद सुरक्षित रख लिया गया था, जिसे अब सुनाया गया है।
कोर्ट ने क्या कहा?
फैसला सुनाते हुए जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती ने स्पष्ट कहा कि कोर्ट हर जगह जाकर जांच नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि जो शिक्षक वर्षों से पढ़ा रहे थे, उनकी शिक्षण क्षमता पर किसी भी तरह का संदेह नहीं जताया गया। कोर्ट ने यह भी माना कि साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान पैसे लेकर अतिरिक्त अंक देने का कोई सबूत नहीं मिला।
इन सभी आधारों पर कोर्ट ने शिक्षकों की छंटनी को गलत बताते हुए उनकी नौकरी बहाल कर दी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने कहा कि जब पूर्व जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने नियुक्तियाँ रद्द की थीं और जल्द ही बीजेपी में शामिल हो गए, तब उनके फैसले की निष्पक्षता पर सवाल उठे थे। उन्होंने कहा कि यह फैसला हजारों परिवारों को राहत देगा।
ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करती हैं और खुश हैं कि हजारों शिक्षकों को उनकी नौकरी वापस मिली।
शिक्षा मंत्री की टिप्पणी
पश्चिम बंगाल के उच्च शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने ट्वीट कर कहा कि हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच का फैसला पलट दिया है। उन्होंने कहा कि 32,000 शिक्षकों की नौकरी अब पूरी तरह सुरक्षित है और यह सच की जीत है।