बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद की करारी हार के बाद लालू प्रसाद यादव के परिवार में उठापटक तेज हो गई है। इस पूरे घटनाक्रम के बीच सबसे ज़्यादा चर्चा में रहीं लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य, जो एक बार फिर सुर्खियों के केंद्र में हैं। लेकिन इस बार वजह राजनीतिक नहीं, बल्कि पारिवारिक तनाव है।
रोहिणी, जिन्हें कभी परिवार की सबसे भावुक और मजबूत कड़ी माना जाता था, अब खुद ही परिवार से दूरी बनाने का ऐलान कर चुकी हैं। यह वही रोहिणी हैं जिन्होंने साल 2022 में अपने पिता को जीवनदान देने के लिए अपनी एक किडनी दान की थी। उस समय पूरा देश उनकी हिम्मत और समर्पण की मिसाल दे रहा था। उन्होंने भावुक होकर कहा था कि उनके मां-बाप उनके लिए भगवान समान हैं और अगर उनके एक अंग से पिता स्वस्थ रहते हैं, तो यह उनके जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है।
तेजस्वी यादव ने भी उस समय अपनी बहन की हिम्मत की खुलकर सराहना की थी और कहा था कि रोहिणी ने परिवार और प्रेम का ऐसा उदाहरण पेश किया है जो हमेशा याद रखा जाएगा।
लेकिन आज, समय वहीं रोहिणी को उसके घर-परिवार से दूर खड़ा दिखा रहा है। चुनावी नतीजों के बाद बढ़ी राजनीतिक तल्खी और आरोप-प्रत्यारोप की वजह से उन्होंने सोशल मीडिया पर साफ लिख दिया कि अब वह न राजनीति से जुड़ी रहना चाहती हैं, न परिवार की किसी लड़ाई में हिस्सा लेना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि अब उन्हें अपनी मानसिक शांति और आत्मसम्मान को प्राथमिकता देनी होगी।
रोहिणी के इस फैसले ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जिसने अपने पिता को किडनी देकर जीवनदान दिया, वही बेटी आज खुद को परिवार से अलग करने पर मजबूर हो गई? राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि परिवार के भीतर लंबे समय से खिंचाव था, जो अब खुलकर सामने आ गया है।
जो भी वजह रही हो, इतना निश्चित है कि रोहिणी आचार्य की कहानी आज भी भावनाओं, त्याग, संघर्ष और आत्मसम्मान का एक अनोखा संगम है। बिहार की राजनीति में यह अध्याय लंबे समय तक याद किया जाएगा।