वॉशिंगटन
भारत से आने वाले सामान पर लगाए गए भारी टैरिफ को लेकर अब अमेरिका के भीतर ही विरोध तेज हो गया है। राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ से अमेरिकी जनता और कारोबारियों को हो रहे नुकसान को देखते हुए तीन अमेरिकी सांसदों ने संसद में एक प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव का मकसद भारतीय सामानों पर लगाए गए टैरिफ को खत्म करना है।
अमेरिकी सांसदों का कहना है कि भले ही यह टैरिफ भारत पर लगाया गया हो, लेकिन इसका सीधा असर अमेरिका के आम लोगों की जेब पर पड़ रहा है। बढ़ती महंगाई के बीच यह शुल्क परिवारों और छोटे कारोबारियों के लिए अतिरिक्त बोझ बन गया है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्ताव 12 दिसंबर को सांसद देबोरा रॉस, मार्क वीसे और राजा कृष्णमूर्ति ने अमेरिकी संसद में पेश किया। प्रस्ताव में खासतौर पर 27 अगस्त 2025 को लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ का विरोध किया गया है, जिसे पहले से मौजूद 25 प्रतिशत शुल्क के ऊपर जोड़ा गया था। इस तरह कुल टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया।
सांसदों का आरोप है कि राष्ट्रपति ट्रंप लगातार आपातकालीन अधिकारों का इस्तेमाल कर टैरिफ बढ़ा रहे हैं, जबकि व्यापार से जुड़े नियम बनाने का संवैधानिक अधिकार अमेरिकी संसद के पास है। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करते हैं।
अमेरिकी कानून इंटरनेशनल इमरजेंसी इकनॉमिक पॉवर्स एक्ट के तहत राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में व्यापार पर सख्त कदम उठाने का अधिकार देता है। ट्रंप प्रशासन ने इसी कानून का सहारा लेते हुए पहले भारत पर पारस्परिक टैरिफ लगाया और फिर उस पर अतिरिक्त शुल्क जोड़ दिया।
क्यों लाया गया यह प्रस्ताव
सांसदों का कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा बार बार आपातकालीन शक्तियों के इस्तेमाल से संसद की भूमिका सीमित हो रही है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य व्यापार से जुड़े फैसलों में कांग्रेस का अधिकार बहाल करना और भारत जैसे अहम रणनीतिक साझेदार देश के साथ रिश्तों को मजबूत करना है।
सांसदों ने क्या कहा
सांसद देबोरा रॉस ने कहा कि ये टैरिफ उनके राज्य नॉर्थ कैरोलिना के लोगों और वहां के कारोबार को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय कंपनियों ने उनके राज्य में अरबों डॉलर का निवेश किया है और हजारों लोगों को रोजगार दिया है। ऐसे में यह शुल्क अमेरिका और भारत की आर्थिक साझेदारी को कमजोर कर सकता है।
सांसद मार्क वीसे ने कहा कि ये टैरिफ अमेरिकी परिवारों पर सीधे टैक्स की तरह हैं। उनके मुताबिक, नॉर्थ टेक्सास के लोग पहले ही महंगाई से परेशान हैं और ऐसे में ये अतिरिक्त शुल्क उनकी मुश्किलें और बढ़ा रहे हैं।
भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने भी प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि टैरिफ से सप्लाई चेन प्रभावित होती है, अमेरिकी मजदूरों को नुकसान होता है और उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। उनका कहना है कि अगर ये शुल्क हटाए जाते हैं, तो अमेरिका और भारत के बीच आर्थिक संबंध और मजबूत हो सकते हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त 2025 को भारत से आने वाले सामान पर पहले 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था। कुछ ही दिनों बाद इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया। ट्रंप ने इस फैसले के पीछे भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को वजह बताया था और कहा था कि इससे रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए आर्थिक मदद मिलती है।