
चक्रवात ‘दितवाह’ (Cyclone Ditwah) ने श्रीलंका में व्यापक तबाही मचा दी है, जिसकी चपेट में आकर देश के कई हिस्सों में भयावह मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है। तूफ़ान के कारण तेज़ हवाओं, मूसलाधार बारिश और लगातार हो रहे भूस्खलनों ने मिलकर कम से कम 56 लोगों की जान ले ली, जबकि 20 से अधिक लोग अब भी लापता हैं। सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र मध्य पहाड़ी इलाकों—कैंडी, नुवारा एलिया और बडुल्ला—बताए जा रहे हैं, जहाँ भूस्खलन से पूरे घर मलबे में दब गए और दर्जनों परिवार एक झटके में उजड़ गए। निचले इलाकों में बाढ़ ने 5–6 फीट तक पानी भर दिया, जिससे स्कूल, अस्पताल, दुकानें और सरकारी इमारतें जलमग्न हो गईं। आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, 44,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं और करीब 18,000 नागरिक सरकारी राहत शिविरों में आश्रय लिए हुए हैं, जहाँ भोजन, पानी, दवाइयों और कंबलों की भारी कमी की रिपोर्ट सामने आ रही है।
चक्रवात के चलते देश की प्रमुख लाइफ़लाइन—कोलंबो–कैंडी हाईवे, हंबनटोटा पोर्ट मार्ग, और कई आंतरिक सड़कों—पर आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है। भूस्खलन से रेलवे ट्रैक मुड़ गए और कई ट्रेन सेवाएँ रद्द कर दी गईं। कोलंबो एयरपोर्ट पर उड़ानों को मोड़ा गया, कई अंतरराष्ट्रीय फ्लाइटें भारत के त्रिवेंद्रम और चेन्नई की ओर डायवर्ट करनी पड़ीं। तूफ़ान की तीव्रता के कारण तटीय इलाकों में समुद्री लहरें सामान्य से कई मीटर ऊंची उठीं, जिसने दर्जनों मछली पकड़ने वाली नावों को नष्ट कर दिया। आर्थिक नुकसान का प्रारंभिक अनुमान सैकड़ों करोड़ श्रीलंकाई रुपये तक पहुँच रहा है, जबकि कृषि फसलों—विशेषकर चाय और सब्जियों—में भारी तबाही की वजह से आगे खाद्य संकट की आशंका जताई जा रही है।
सरकार ने सेना, नौसेना, वायुसेना, आपदा प्रबंधन टीमों और स्थानीय प्रशासन को मिलाकर बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है। हेलीकॉप्टरों के ज़रिये राहत सामग्री गिराई जा रही है और बचावकर्मियों ने अब तक हजारों लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकाला है। भारत सहित कई पड़ोसी देशों ने सहायता की पेशकश की है; भारत ने “सागर बंधु मिशन” के तहत सहायता सामग्री भेजने की घोषणा की है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले 24–48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि चक्रवात आगे बढ़ चुका है लेकिन उसके बाद की ट्रेलिंग बारिश नए भूस्खलन और बाढ़ का कारण बन सकती है। प्रशासन ने लोगों से नदी किनारे, पहाड़ी ढलानों और जलभराव वाले क्षेत्रों से दूर रहने की अपील की है, जबकि स्कूल, सरकारी दफ़्तर और कई व्यापारिक प्रतिष्ठान फिलहाल बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। कुल मिलाकर, दितवाह ने श्रीलंका की अवसंरचना, अर्थव्यवस्था और आम जनजीवन पर गहरी चोट छोड़ी है—और राहत व पुनर्निर्माण में कई सप्ताह या शायद महीनों का समय लग सकता है।