रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रहे हैं। इस बैठक को दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की दिशा में निर्णायक माना जा रहा है। लंबे समय से भारत की रक्षा जरूरतों की रीढ़ बना रूस, अब एक बार फिर नई तकनीकों और उन्नत हथियार प्रणालियों के संभावित सौदों के कारण सुर्खियों में है।
भारत-रूस रक्षा संबंध: दशकों पुराना भरोसा
सोवियत युग से ही भारत रूस पर अपनी रक्षा आपूर्ति के लिए निर्भर रहा है। लड़ाकू विमानों, मिसाइलों, टैंकों और नौसैनिक हथियारों में रूस भारत का प्रमुख साझेदार रहा। एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और एके-203 राइफल उत्पादन जैसे प्रोजेक्टों ने इस साझेदारी को और मजबूत किया है। 2021-2031 के लिए बढ़ाया गया सैन्य-तकनीकी सहयोग कार्यक्रम दोनों देशों की रणनीतिक गहराई को दर्शाता है।
मौजूदा प्रोजेक्ट: टैंक, फाइटर जेट और ब्रह्मोस साझेदारी
भारत और रूस वर्तमान में टी-90 टैंकों, सुखोई-30MKI के लाइसेंस उत्पादन और Ka-31 हेलीकॉप्टर आपूर्ति जैसे कई प्रोजेक्ट पर साथ काम कर रहे हैं। सबसे बड़ा उदाहरण ब्रह्मोस मिसाइल है, जिसे दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में गिना जाता है। इसके अलावा एके-203 राइफल का उत्पादन उत्तर प्रदेश में तेजी से जारी है।
पुतिन दौरे में संभावित रक्षा सौदे
1. अतिरिक्त एस-400 रेजिमेंट
भारत पहले ही रूस से एस-400 सिस्टम की तीन रेजिमेंटें ले चुका है। दो और रेजिमेंट 2026 तक आने की उम्मीद है। इन अत्याधुनिक प्रणालियों की मदद से चीन और पाकिस्तान सीमा के नजदीक वायु सुरक्षा को और मजबूत किया जाएगा।
2. एस-500 सिस्टम में भारत की रुचि
रूस का नवीनतम एस-500 “प्रोमिथियस” सिस्टम भारत का ध्यान आकर्षित कर रहा है। 600 किमी रेंज और हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी गिराने की क्षमता इसे दुनिया की सबसे उन्नत एयर डिफेंस प्रणालियों में शामिल करती है। हालांकि कीमत और मेंटेनेंस लागत इसके फैसले को चुनौतीपूर्ण बना सकती है।
3. Su-57 लड़ाकू विमान पर चर्चा
रूस ने Su-57 स्टेल्थ फाइटर की भारत में उत्पादन सहित तकनीकी हस्तांतरण की पेशकश की है। यह अमेरिका के F-35 और चीन के J-20 का जवाब माना जाता है। यदि सौदा होता है, तो भारत अपने AMCA प्रोजेक्ट के पूरा होने तक पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की कमी को पूरा कर सकेगा।
क्यों महत्वपूर्ण है यह यात्रा?
भारत चीन की बढ़ती सैन्य क्षमताओं और पाकिस्तान से लगातार तनाव के बीच अपनी वायु रक्षा और लड़ाकू विमान शक्ति को मजबूत करना चाहता है। रूस की उन्नत तकनीक और भरोसेमंद साझेदारी भारत को दीर्घकालिक सुरक्षा में बढ़त दे सकती है। पुतिन का यह दौरा इसी रणनीतिक दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।